सिद्धार्थ विश्वविद्यालय, कपिलवस्तु की स्थापना के साथ ही कला संकाय में संस्कृत विभाग की आधारशिला रखी गयी, जो फ़रवरी 2021-22 में दो सहायक आचार्यों डॉ॰ आभा द्विवेदी एवं डॉ॰ धर्मेन्द्र कुमार की नियुक्ति के साथ भौतिक स्वरूप को प्राप्त हुआ। संस्कृत विभाग का नियमित शैक्षणिक सत्र 2021-22 में राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के आधार पर स्नातक व सी.बी.सी.एस. प्रणाली के अन्तर्गत स्नातकोत्तर में छात्रों के प्रवेश के सा प्रारम्भ हुआ।
विभाग द्वारा अपनी शैक्षिक यात्रा के अन्तर्गत विभिन्न शैक्षिक गतिविधियाँ, पाठ्यक्रम निर्माण सम्बन्धी कार्यों, तथा राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के अन्तर्गत आयोजित वेबिनार से लेकर आज़ादी के अमृत महोत्सव के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम एवं संस्कृत सप्ताह, गीता जयन्ती जैसे शैक्षिक/शिक्षणेतर कार्यक्रमों का संयोजन करते हुए सत्र 2022-23 हेतु पी-एच॰ डी॰ कोर्स वर्क का भी सकुशल संचालन किया गया जिसमें शोधार्थियों हेतु साप्ताहिक विभागीय संगोष्ठी का भी आयोजन होता रहा। सत्र 2022-23 में ही छात्र-छात्राओं की अभिरुचि के अनुसार स्नातकोत्तर द्वितीय वर्ष में व्याकरण एवं साहित्य दो वैकल्पिक वर्गों का संचालन किया जा रहा है।आगामी सत्र में (से) व्यावसायिक शिक्षा से जुड़े पाठ्यक्रम संचालित करने की योजना है।
पी-एच॰ डी॰ कोर्स वर्क की परीक्षा के उपरान्त सत्र 2023-24 में विभाग में डॉ॰ आभा द्विवेदी के निर्देशन में सितम्बर 2023 से एक शोध छात्र शोध कार्य कर रहा है । आगामी सत्र में रिक्तियों के सापेक्ष शोधपात्रता परीक्षा के उपरान्त विभाग में शोध छात्रों का शिक्षकों के निर्देशन में पंजीकरण किया जायेगा। शिक्ष्ण कार्य के अतिरिक्त विभाग के शिक्षकों डॉ॰ आभा द्विवेदी (प्रभारी, संस्कृत विभाग, अधीक्षिका यशोधरा महिला छात्रावास) तथा डॉ॰ धर्मेन्द्र कुमार (सदस्य, क्रीड़ा समिति एवं सदस्य अनुशासन समिति) के द्वारा विविध प्रशासनिक दायित्वों का भी निर्वहन किया जा रहा है।
सिद्धार्थ विश्वविद्यालय कपिलवस्तु में संस्कृत विभाग की स्थापना वर्ष 2021 में हुई। संस्कृत भाषा शिक्षण के माध्यम से भारतीय एवं वैदिक संस्कृति का ज्ञान कराना। संस्कृत जैसी वैज्ञानिक एवं अतिप्रासंगिक भाषा के प्रचार प्रसार एवं व्यवहार को बढ़ावा देना।
संस्कृत को सर्वप्राचीन भाषा होने के साथ ही गीर्वाण भारती देवभाषा होने का भी गौरव प्राप्त है। जो अन्य सभी भाषाओं की जननी है जिसमें भारतीय मनीषा के सभी ज्ञान सुरक्षित हैं इस हेतु इस भाषा और विभाग दोनों का ही महत्वपूर्ण स्थान है।
विभागाध्यक्ष का सन्देश-
संस्कृत विभाग अल्पकाल में ही अपनी शैक्षिक गतिविधियों द्वारा उत्तरोत्तर प्रगतिशील होकर सफलता के नितनये आयाम स्थापित कर रहा है। छात्रों को संस्कृत भाषा एवं भारतीय संस्कृति से जोड़ने का निरंतर प्रयास किया जा रहा है। संस्कृत विषय के प्रति छात्रों में रूचि जागृत करने एवं छात्रों की संख्या बढ़ाने हेतु प्रयास किया जा रहा है। विभाग द्वारा अभी तक आधारित पाठ्यक्रम प्रतिवर्ष संस्कृत सप्ताह का आयोजन, वि॰वि॰ द्वारा निर्दिष्ट महापुरूषों की जयंतियों का आयोजन भव्य रूप से किया गया है। नियुक्ति से अद्यतन विभाग द्वारा 7 शोध पत्रों एवं 7 एडिटेड बुक चैप्टर (4 - डॉ॰ आभा द्विवेदी, 3 - डॉ॰ धर्मेन्द्र कुमार) का प्रकाशन किया जा चुका है। डॉ॰ आभा द्विवेदी द्वारा उत्तर प्रदेश रिसर्च एण्ड डेवलपमेन्ट योजना के अन्तर्गत लघुशोध परियोजना भी प्रस्तावित किया गया है। वर्तमान में विभाग में डॉ॰ आभा द्विवेदी के निर्देशन में एक शोध छात्र शोधरत है। भविष्य में छात्र परिषद का गठन करने की योजना है साथ ही शोध कार्य का बढ़ावा देना संगोष्ठी एवं व्याख्यान का आयोजन कर शोध को बढ़ावा देना विभाग के उद्देश्य हैं।